हलधरमऊ सीएचसी: नौ वर्षों से जमे अधीक्षक पर कार्रवाई कब?

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलधरमऊ
          सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलधरमऊ

गोंडा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हलधरमऊ में अधीक्षक पद पर पिछले नौ वर्षों से जमे डॉ. संत प्रताप वर्मा पर तबादला आदेश के बावजूद कार्यस्थल न छोड़ने और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही के गंभीर आरोप लग रहे हैं। चार महीने पहले उनका तबादला सीएचसी बभनजोत के लिए कर दिया गया था, लेकिन वे अब भी हलधरमऊ में डटे हुए हैं।

तबादला आदेश की उड़ाई धज्जिय।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) द्वारा 28 जून को जिले के कई चिकित्साधिकारियों के तबादले किए गए थे, जिसमें डॉ. संत प्रताप वर्मा को हलधरमऊ से बभनजोत भेजा गया था। उनके स्थान पर संक्रामक रोग सेल में कार्यरत डॉक्टर प्रेम दयाल को नियुक्त किया गया, लेकिन सेटिंग और साठगांठ के चलते संत प्रताप वर्मा ने कुर्सी नहीं छोड़ी।

स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली

सूत्रों के अनुसार, डॉ. संत प्रताप वर्मा के कार्यकाल में हलधरमऊ सीएचसी के अंतर्गत आने वाले किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का सही तरीके से रखरखाव नहीं किया गया। बरांव पीएचसी की चारदीवारी जर्जर होकर ढहने के कगार पर है, मुख्य द्वार वर्षों से टूटा पड़ा है और यह अस्पताल लैब सहायक नागेंद्र प्रसाद के सहारे चल रहा है।

इसी तरह, नहवा परसौरा पीएचसी की चारदीवारी तीन वर्षों से गिरी हुई है और यह फार्मासिस्ट मनोज श्रीवास्तव के सहारे संचालित हो रहा है। बालपुर पीएचसी के आवासीय भवन कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं, वहीं हड़ियागाड़ा पीएचसी में चोरी की बड़ी घटना हुई लेकिन एफआईआर तक दर्ज नहीं कराया गया था ।

कुछ दिन पहले दवाएं जलाने का वीडियो हुआ था वायरल।

कुछ दिन पहले हलधरमऊ सीएचसी में भारी मात्रा में दवाएं जलाने का वीडियो वायरल हुआ था, जिससे भ्रष्टाचार की पोल खुली। बावजूद इसके, किसी भी उच्च अधिकारी ने कोई संज्ञान नहीं लिया।

नियमित रूप से नहीं बैठते अधीक्षक

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि डॉ. संत प्रताप वर्मा अपनी कुर्सी पर नियमित रूप से नहीं बैठते, उनकी कुर्सी अधिकतर खाली रहती है। इसके बावजूद, विभाग द्वारा उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल

जब इस बारे में डॉ. संत प्रताप वर्मा से सवाल किया गया तो उन्होंने हमेशा की तरह जवाब दिया कि “इसकी जिम्मेदारी उच्च अधिकारियों की है।” वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी रश्मि वर्मा से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन व्यस्तता के कारण उनसे बातचीत नहीं हो सकी। एसीएमओ आदित्य वर्मा ने भी इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

अब देखना यह होगा कि विभागीय अनियमितताओं और तबादला आदेश की अवहेलना के बावजूद स्वास्थ्य विभाग कब तक आंखें मूंदे रहता है और कब तक अधीक्षक पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।

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