किसान ने दी आत्मदाह की चेतावनी प्रशासन कर रहा मनमानी

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गोंडा: न्यायालय के आदेश के बाद भी नहीं मिली न्याय की जमीन, पीड़ित किसान गया प्रसाद ने आत्मदाह की दी चेतावनी

गोंडा (कौड़िया), गोंडा जनपद के थाना कौड़िया क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम कोटिया मदारा के निवासी गया प्रसाद पुत्र शोभा ने प्रशासनिक उपेक्षा और दबंगों के उत्पीड़न से तंग आकर 10 जुलाई 2025 को परिवार सहित आत्मदाह करने की चेतावनी दी है। पीड़ित ने जिलाधिकारी गोंडा को एक गम्भीर प्रार्थना पत्र सौंपते हुए बताया कि उसकी पुश्तैनी कृषि भूमि पर दबंग किस्म के विपक्षियों द्वारा जबरन कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है और प्रशासन इस गंभीर प्रकरण में मौन धारण किए हुए है।

न्यायालय ने माना वैध कब्जा, फिर भी नहीं मिली राहत।

गया प्रसाद की भूमि गाटा संख्या-604, ग्राम कोटिया मदारा में स्थित है, जो कि गंगवल-दुबहा बाजार रोड के किनारे है। उक्त भूमि का नाम राजस्व अभिलेखों में गया प्रसाद के नाम पर दर्ज है, जिसे ग्राम न्यायालय करनैलगंज ने भी स्वीकार किया है। दिनांक 6 दिसंबर 2024 को न्यायालय ने एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा (Stay Order) जारी करते हुए विपक्षियों को उक्त भूमि पर कब्जा करने से स्पष्ट रूप से मना किया है।

फिर भी, निरंजन, मुकेश, राकेश पुत्रगण विजयराज, विजयराज पुत्र सत्यपाल, एवं रेनू पत्नी निरंजन—इन दबंगों द्वारा लगातार अवैध कब्जे का प्रयास किया जा रहा है। गया प्रसाद का आरोप है कि विपक्षी भूमाफिया किस्म के हैं, जिनकी स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मिलीभगत है।

थाने में 22 बार गुहार, पर कोई सुनवाई नहीं

पीड़ित का कहना है कि उसने पिछले 8 महीनों में थाना कौड़िया के एसएचओ से लगभग 22 बार मिलकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन हर बार किसी न किसी बहाने से टाल दिया गया। कभी मुख्यमंत्री का कार्यक्रम, कभी त्योहार, कभी फोर्स की कमी—इन कारणों का हवाला देकर पुलिस ने खेत पर जाने से साफ इंकार कर दिया।

बीडीओ ने माना ‘गंभीर मामला’, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई।

गया प्रसाद के अनुसार, 23 अप्रैल 2025 को खंड विकास अधिकारी (B.D.O.) द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान बीडीओ ने इसे “अत्यंत आवश्यक एवं गंभीर मामला” मानते हुए रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजने का आश्वासन दिया था, लेकिन दो महीने से अधिक का समय बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।

“बच्चे भूखों मरने के कगार पर, पेट्रोल डालकर आत्मदाह करूंगा”

प्रार्थी का कहना है कि अब स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उसके बच्चे भूखों मरने की कगार पर हैं। विपक्षी लगातार धमकी दे रहे हैं, खेत की जुताई-बुआई नहीं करने दे रहे, और प्रशासन बेखबर बना हुआ है।

गया प्रसाद ने साफ चेतावनी दी है कि यदि 10 जुलाई 2025 की सुबह 11:00 बजे तक उसकी भूमि पर कार्य नहीं करने दिया गया, तो वह अपने पूरे परिवार के साथ आत्मदाह कर लेगा।

उसने यह भी कहा है कि उसके बाद उसकी जमीन विपक्षियों को दे दी जाए, और उसके परिवार की मौत की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर होगी।

न्यायालय की टिप्पणी:

ग्राम न्यायालय करनैलगंज द्वारा पारित आदेश में कहा गया है कि वादी (गया प्रसाद) तनहा रूप से विवादित भूमि का संक्रमणीय भूमिधर व उपभोक्ता है। यदि विपक्षियों को रोका न गया तो वादी को अपूर्णनीय क्षति हो सकती है। इसीलिए अंतरिम निषेधाज्ञा पारित की गई, लेकिन दुर्भाग्यवश स्थानीय पुलिस व राजस्व विभाग इस आदेश की भी अवहेलना कर रहे हैं।

सवाल उठते हैं:

जब न्यायालय ने स्पष्ट रूप से भूमि पर वादी का कब्जा माना है, तो पुलिस और प्रशासन की चुप्पी क्यों?

क्या आम जनता को न्याय पाने के लिए आत्मदाह जैसे कदम उठाने की धमकी देनी जरूरी हो गई है?

क्या शासन की “भूमाफिया मुक्त अभियान” सिर्फ कागज़ों में सिमट गया है?

अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस चेतावनी को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करता है या फिर एक और परिवार ‘न्याय की तलाश’ में उजड़ जाएगा।

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