
कर्नलगंज, गोंडा। सरकारी दावों के विपरीत, ज़मीनी हकीकत का कड़वा सच एक बार फिर उजागर हुआ है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलधरमऊ के अंतर्गत आने वाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) बरांव स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति का गढ़ बन चुका है। हालात इतने बदतर हैं कि यहां मरीजों को इलाज की जगह ताले, टूटी खिड़कियां और बदबू मारते कमरे “स्वागत” करते हैं।
14 अगस्त की सुबह करीब 10 बजे जब पत्रकारों की टीम मौके पर पहुंची, तो अस्पताल में डॉक्टर, नर्स या मेडिकल स्टाफ का नामोनिशान तक नहीं मिला। वहां केवल लैब टेक्नीशियन नागेंद्र प्रसाद मौजूद थे। उन्होंने खुलासा किया कि एक डॉक्टर को पढ़ाई के लिए बाहर भेजा गया है, जबकि तैनात डॉक्टर असफाक लारी महीनों से अस्पताल नहीं आते। उनका दावा था कि लारी साहब का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, इसलिए वे मौजूद नहीं रहते।
मामला और उलझा जब चार्ज पर रहे सीएचसी अधीक्षक अरुण वर्मा से बात हुई। उन्होंने कहा कि डॉक्टर को अस्पताल आना चाहिए, लेकिन उन्हें छुट्टी की कोई सूचना नहीं मिली है। वहीं, फोन पर डॉक्टर अशफाक लारी ने पत्रकारों से कहा कि वे नियमित अस्पताल जाते हैं और उस दिन छुट्टी पर थे, जिसकी एप्लीकेशन उन्होंने भेजी है—शायद अधीक्षक को पता न हो।
वहीं, अस्पताल में तैनात आयुष विभाग के डॉक्टर कामेश्वर प्रसाद तिवारी और वार्ड बॉय कृष्ण गोपाल श्रीवास्तव ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि उनके अलावा अस्पताल में कोई मौजूद ही नहीं रहता।
सबसे भयावह स्थिति अस्पताल की इमारत की है। डॉक्टरों के न आने से अस्पताल और आवासीय भवन लंबे समय से वीरान पड़े हैं, जिसका फायदा उठाकर चोर दरवाजे-खिड़कियां तक उखाड़ ले गए। गंदगी का आलम ऐसा है कि अस्पताल के कमरे और आवास अब स्थानीय लोगों के लिए सार्वजनिक शौचालय बन गए हैं। हालात इतने खतरनाक हैं कि इन कमरों में पैर रखने की जगह तक नहीं है—यहां तक कि जानवरों को बांधने की जगह भी इससे बेहतर है।
ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही सीधे मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है। अब सवाल यह है कि क्या अशफाक लारी और जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई होगी, या PHC बरांव ऐसे ही मौत का अड्डा बना रहेगा?

Author: Hind Lekhni News
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