सीएचसी बना भ्रष्टाचार का केंद्र, डिलीवरी के नाम पर खुलेआम वसूली, मरीजों से वसूले जा रहे रुपये और गहने, प्रशासन मौन
कर्नलगंज, गोंडा – एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को जनसामान्य तक निःशुल्क पहुँचाने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इस दावे की पोल खोल रही है। जनपद गोंडा की कर्नलगंज तहसील के अंतर्गत संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मरीजों को चिकित्सा सेवा के बजाय शोषण, भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य केंद्र इलाज का स्थल कम, दलालों और भ्रष्ट कर्मियों का अड्डा अधिक बन गया है।
पत्रकारों की पड़ताल में सामने आया शर्मनाक सच।
सूत्रों से मिली जानकारी के बाद 22 मई शाम करीब 5 बजे जब पत्रकारों की टीम सीएचसी कर्नलगंज पहुंची, तो वहां मौजूद एक तीमारदार ने जो हकीकत बयां की, वह चौंकाने वाली थी। उसके अनुसार, कुछ ही समय पहले एक प्रसूता ने अस्पताल में एक शिशु को जन्म दिया था, लेकिन प्रसव से पहले ही आशा कार्यकर्ता द्वारा 300 तुरंत पहुंचते ही अन्दर जमा करा लिया गया उसके बाद 300 रुपए का ग्लूकोज और 350 रुपए की इंजेक्शन बाहर की मेडिकल से मंगवाए गए, जिनका भुगतान तीमारदार को स्वयं करना पड़ा। इसके बाद खून की जांच भी बाहर की लैब से लिखवाई गई, और उसके एवज में 300 रुपए जमा कराए गए।
इतना ही नहीं, प्रसव के तुरंत बाद अस्पताल की नर्सिंग स्टाफ और आशा कार्यकर्ता द्वारा 500 रुपए और मांगे गए। इस तरह एक साधारण प्रसव के नाम पर करीब 1500 रुपए तक की अवैध वसूली की गई। जो व्यवस्था आमजन को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देने के लिए स्थापित की गई थी, वहीं आमजन की जेबें काटने में जुटी है।
‘पायल-बिछुआ’ तक बिकवा देती है नर्स – गवाही देते हैं स्टाफ
अस्पताल में तैनात कुछ कर्मियों से जब इस स्थिति को लेकर बात की गई, तो उन्होंने नाम न उजागर करने की शर्त पर एक और सनसनीखेज खुलासा किया। उनके अनुसार, डिलीवरी रूम की स्टाफ नर्स द्वारा मरीजों से नगदी के अतिरिक्त उनके गहनों — जैसे पायल, बिछुआ आदि — तक बिकवाए जाते हैं। जब तक परिवारजन ये सामान नहीं बेचते या रकम नहीं देते, तब तक मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया जाता। यह हर स्तर पर मानवता को शर्मसार करने वाली स्थिति है।
बाहर से लिखी जा रही महंगी दवाएं, अस्पताल की दवाएं कहाँ जा रही हैं?
एक और गंभीर मामला दवाओं को लेकर सामने आया है। मरीजों को अस्पताल में मौजूद होने के बावजूद महंगी दवाएं बाहर से लिखी जा रही हैं। मरीजों द्वारा उपलब्ध कराए गए पर्चे के अनुसार, जिन दवाओं को बाहर से खरीदने के लिए मजबूर किया गया, उनमें शामिल हैं:
Tab Zifi 200mg
Tab Condit AL 100
Covelidice
Peab Met
Tas Pamfo
Tas Metalspc
Syl Alkasa
Tab Defpicart
Candid Vuel P
Eb Migrind
➡️स्टाफ नर्स द्वारा लिखी गई बाहर की दवाओं का पर्चा।
प्रशासन और अधीक्षक की चुप्पी, जवाबदेही से मुंह मोड़ना सवालों के घेरे में।
जब इस मामले में अस्पताल के अधीक्षक से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो घंटी लगातार बजती रही लेकिन उन्होंने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा। यह चुप्पी कहीं न कहीं संलिप्तता को दर्शाती है या फिर एक बड़ी अनदेखी की ओर इशारा करती है। क्या जिला प्रशासन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इस पूरे मामले से वाक़िफ़ नहीं हैं? या जानबूझ कर आंखें मूंदे हुए हैं?
जनता में उबाल, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
इस घटना के बाद क्षेत्र की जनता में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों का कहना है कि अगर सरकारी अस्पताल में भी इलाज के नाम पर वसूली और गहने बिकवाने की नौबत आ जाए, तो गरीब जाए तो जाए कहां? स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह सवालों के घेरे में आ गई है।
मांग – हो उच्च स्तरीय जांच और कठोर कार्रवाई
जनता और स्थानीय सामाजिक संगठनों की ओर से मांग की गई है कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी स्टाफ, नर्सिंग कर्मी, आशा कार्यकर्ता और संलिप्त मेडिकल दुकानों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि दोबारा कोई गरीब महिला अपने बच्चे को जन्म देने के लिए अपने गहने न बेचे और ना ही भ्रष्टाचार का शिकार हो।
सीएचसी कर्नलगंज की इस शर्मनाक स्थिति ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की सच्चाई को उजागर कर दिया है। यह खबर सिर्फ गोंडा जिले की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के सिस्टम पर एक सवाल है – क्या गरीबों के लिए अब सरकारी अस्पतालों में भी कोई जगह नहीं बची? यह समय है कि सरकार, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री स्वयं इस मामले में संज्ञान लें और दोषियों को सजा दिलाकर आमजन का भरोसा लौटाएं।
