सीएचसी कर्नलगंज की बदहाल हालत से त्रस्त मरीज और डॉक्टर, लापरवाही के अंधेरे में स्वास्थ्य सेवाएं, अधीक्षक और CMO पर गंभीर सवाल

कर्नलगंज (गोंडा)। एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार दावे कर रही है, तो दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत उन दावों की पोल खोलती नज़र आ रही है। गोंडा जनपद के कर्नलगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की हालत बेहद दयनीय है। मरीज, उनके तीमारदार और डॉक्टर तक बेहाल हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और अधीक्षक आंख मूंदे बैठे हैं। भीषण गर्मी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने हालात को और भयावह बना दिया है।

भीषण गर्मी में पंखों के बिना दम घुटती इमरजेंसी।
जानकारी के अनुसार सीएचसी कर्नलगंज में कई महीनों से इमरजेंसी कमरे का पंखा खराब पड़ा हैं। 40 डिग्री से ऊपर तापमान में इमरजेंसी भट्ठी जैसा तप रहा है। मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों को गर्मी और उमस से बेहाल होना पड़ रहा है। इमरजेंसी कक्ष तक में पंखे नहीं चल रहे, जिससे जीवन रक्षक उपचार में गंभीर अड़चनें आ रही हैं। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी परेशान हैं, लेकिन अधीक्षक की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।
शिकायतों की अनदेखी, इमरजेंसी से सौतेला व्यवहार
चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर समस्या को लेकर डॉक्टरों और मरीजों ने कई बार अधीक्षक से शिकायत की, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। बताया जा रहा है कि कुछ पंखे अस्पताल को जरूर मिले थे, लेकिन उन्हें इमरजेंसी कक्ष में लगाने की बजाय अन्य कमरों में फिट कर दिया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है?
‘इमरजेंसी’ केवल नाम की, सुविधाएं शून्य
जिस इमरजेंसी वार्ड को 24×7 संचालन में रहना चाहिए, वहां न तो पंखे हैं और न ही गर्मी से बचाव का कोई इंतजाम। कई बार मरीजों की स्थिति ऐसी होती है कि मिनटों की देरी जानलेवा साबित हो सकती है। लेकिन प्रशासन इस ओर से पूरी तरह से बेपरवाह बना हुआ है। यह रवैया मरीजों के जीवन के साथ सीधा खिलवाड़ है।
अधिकारियों का ‘मौन’ और फोन पर ‘चुप्पी’
खास बात यह है कि जब पत्रकारों द्वारा अधीक्षक और मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) गोंडा से इस विषय पर बात करने के लिए उनके दूरभाष नंबरों पर संपर्क किया गया, तो किसी ने भी फोन नहीं उठाया। यह दर्शाता है कि न केवल ज़मीनी स्तर पर बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
मरीजों का कहना है कि यदि प्राथमिक स्तर पर ही स्वास्थ्य सेवाओं की यह स्थिति है, तो पूरे जिले का स्वास्थ्य तंत्र किस हाल में होगा, इसकी कल्पना भयावह है।
सवालों के घेरे में अधीक्षक और स्वास्थ्य विभाग
अब यह सवाल उठता है कि जब एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पंखे जैसी बुनियादी सुविधा भी मुहैया नहीं कराई जा सकती, तो ‘जनस्वास्थ्य’ की परिभाषा आखिर है क्या? क्या केवल भवन बनवाने और फोटो खिंचवाने तक ही स्वास्थ्य योजनाएं सीमित रह गई हैं?
कब जागेगा प्रशासन?
सीएचसी कर्नलगंज की यह स्थिति एक गहरी चिंता का विषय है। यह न केवल सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कहीं न कहीं जवाबदेही की भावना पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। यदि समय रहते इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला न केवल क्षेत्रीय जनता के आक्रोश को भड़का सकता है, बल्कि पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान बन जाएगा।
हिंद लेखनी न्यूज़ इस गंभीर विषय पर स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगता है और जिला प्रशासन से मांग करता है कि शीघ्र जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि आमजन को राहत मिल सके।
