करनैलगंज/गोण्डा: चचरी चौकी पर हाल ही में हुए विवाद और विरोध प्रदर्शन ने अब बड़ा मोड़ ले लिया है। इस घटनाक्रम में चौकी प्रभारी रमेश यादव को लाइन हाजिर कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक द्वारा उठाया गया यह कदम स्पष्ट संकेत है कि प्रशासन अब किसी भी विवादास्पद गतिविधि या लापरवाही को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
घटना की पृष्ठभूमि की बात करें तो कुछ दिन पूर्व चचरी चौकी पर एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी। बताया जा रहा है कि चौकी प्रभारी रमेश यादव की कार्यशैली को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और क्षेत्रीय सांसद समर्थकों में भारी नाराजगी थी। इसी नाराजगी ने उस समय उग्र रूप ले लिया जब सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने चचरी चौकी का घेराव कर जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि चौकी प्रभारी को तत्काल हटाया जाए।
स्थिति को बिगड़ता देख मौके पर कोतवाली करनैलगंज के प्रभारी श्रीधर पाठक स्वयं पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर उन्हें शांत किया। उनके आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ। लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने जल्द ही चचरी में पीएसी बल की तैनाती कर दी। यही नहीं, कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर न्यायालय में प्रस्तुत भी किया गया, जिससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति और बढ़ गई।
इस घटना के बाद स्थानीय जनमानस में यह चर्चा जोरों पर थी कि आखिरकार मामला किस दिशा में जाएगा। कई लोगों ने सवाल उठाए कि प्रदर्शनकारियों की इतनी बड़ी प्रतिक्रिया के पीछे आखिर वजह क्या थी? क्या वाकई चौकी प्रभारी के कार्य व्यवहार में गंभीर खामियां थीं, या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव था?
इन तमाम सवालों के बीच अब यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच-पड़ताल के बाद चौकी प्रभारी रमेश यादव को लाइन हाजिर कर दिया। यह निर्णय कहीं न कहीं प्रशासन की तत्परता और निष्पक्षता को भी दर्शाता है।
जनता की आवाज़ बनी निर्णायक:
चचरी चौकी विवाद यह दर्शाता है कि जब जनता एकजुट होकर अपनी बात रखती है, तो व्यवस्था को भी उसे सुनना पड़ता है। सांसद समर्थकों और आम ग्रामीणों की यह एकता इस बात का प्रतीक बनी कि शासन-प्रशासन को जनभावनाओं की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
आगे की कार्रवाई पर नजरें टिकीं:
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि हटाए गए प्रभारी के स्थान पर किसे नियुक्त किया जाएगा और क्या क्षेत्र में शांति और विश्वास बहाल हो पाएगा।
यह घटना एक चेतावनी भी है – उन अधिकारियों के लिए जो अपने पद की गरिमा को भुलाकर आम जनता के साथ अनुचित व्यवहार करते हैं। साथ ही यह एक प्रेरणा भी है – उन नागरिकों के लिए जो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने का साहस रखते हैं।
हिंद लेखनी न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट |
