करनैलगंज (गोंडा): एक तरफ जहां देश भर में हरियाली बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े-बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गोंडा जिले के करनैलगंज थाना क्षेत्र में प्रशासन की नाक के नीचे हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटान का घिनौना खेल धड़ल्ले से चल रहा है।
वन माफियाओं का तांडव।
करनैलगंज कस्बे के परसपुर रोड, कटरा रोड, हुजूरपुर रोड और उससे सटे इलाकों में प्रतिदिन गूलर और सागौन जैसे प्रतिबंधित पेड़ों की भारी मात्रा में कटान कर ट्रैक्टर ट्रालियों के जरिए उनकी ढुलाई खुलेआम की जा रही है। यह ट्रैक्टर ट्रालियां बेखौफ होकर थाना क्षेत्रों और चौक-चौराहों से गुजर रही हैं, मानो उन्हें किसी का कोई भय नहीं।
सवालों के घेरे में पुलिस व वन विभाग।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरा धंधा पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि चौकी-थानों के सामने से लकड़ी लदी ट्रालियां दिन-दहाड़े गुजर रही हैं, लेकिन कहीं भी कोई रोक-टोक नहीं हो रही। इससे स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार अधिकारी या तो इस पूरे गोरखधंधे में संलिप्त हैं या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं।
पर्यावरण को भारी नुकसान।
इस अवैध कटान से क्षेत्र में हरियाली तेजी से खत्म हो रही है। गूलर और सागौन जैसे पेड़ न केवल पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि ग्रामीण आजीविका और जैव विविधता का भी आधार होते हैं। इनकी अंधाधुंध कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन गहराता जा रहा है।
शासन-प्रशासन बना मूकदर्शक।
गोंडा जिले में चल रहे इस पेड़ कटाई के अवैध कारोबार पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं होना भी अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। क्या यह वन विभाग की मिलीभगत नहीं तो और क्या है? आखिर कब तक वन माफियाओं की यह मनमानी चलेगी? कब तक हरे-भरे पेड़ यूं ही कटते रहेंगे और शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना रहेगा?
क्या कहती है सरकार की नीति?
प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा “पर्यावरण संरक्षण” को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। पेड़ कटान के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य है, और प्रतिबंधित प्रजातियों की कटाई दंडनीय अपराध की श्रेणी में आती है। लेकिन करनैलगंज में इन नीतियों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
हम जिला प्रशासन, पुलिस अधीक्षक और वन विभाग के उच्चाधिकारियों से आग्रह करते हैं कि इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान में लिया जाए। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और क्षेत्र में गश्त बढ़ाकर अवैध लकड़ी परिवहन को रोका जाए।
यह केवल कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि हमारे भविष्य और पर्यावरण की रक्षा का मामला है। यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में इसकी कीमत समाज और प्रकृति को चुकानी पड़ेगी।
