संतोषी माता मंदिर में कवि सम्मेलन का आयोजन, कवियों की रचनाओं ने बांधा समां

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कर्नलगंज।कजरीतीज मेले के अवसर पर संतोषी माता मंदिर परिसर में एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रख्यात कवि एवं साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

कवि सम्मेलन का शुभारंभ गणेश प्रसाद वेश की अध्यक्षता और रामकुमार मिश्र के संचालन में हुआ। सर्वप्रथम बिमल जी द्वारा वाणी वंदना प्रस्तुत की गई, जिसके पश्चात कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ सुनाईं।

इस अवसर पर कवि पी० बी० (प्रेयच्छ बोनी) ने अपनी कविता “दुखों के जंगल में तरु सुगंधित मलय का तुमने उगाया” सुनाकर दया और करुणा का संदेश दिया। कवि संतोष कुमार ने अपनी रचना में मानवता की आवश्यकता और करुणा के महत्व को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

वीरेन्द्र विक्रम तिवारी “बेतुक” ने राजनीति और समाज पर व्यंग्य कसते हुए कहा – “आयी प्रधावी ये कड़ी, पापी सब आज गादाता, भगवान के समान है। कोई जोड़ै हाथ, कोई डांटत अउर चाँव, कोई कहे चुप रहो गुप्त मतदान है।” उनकी इस प्रस्तुति पर श्रोता देर तक तालियाँ बजाते रहे।

कवि उत्तम कुमार शोला ने समाजिक एकता का संदेश देते हुए कहा –

“कोई कलंदर, कोई बादशाह और न कोई निज़ाम होगा, पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चौतरफा अब राम होगा।”

गणेश प्रसाद तिवारी ‘वैश’ ने संवेदनशील पंक्तियों के माध्यम से मानवता की चादर को सिलने और उसे ओढ़ने की कल्पना प्रस्तुत की। वहीं विजय सिंह (पप्पू) ने बेटी-बेटे के बीच भेदभाव पर चोट करते हुए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया।

कवि प्रदीप श्रीवास्तव ‘परवाना’ ने अपनी पंक्तियों “राजनीति की कड़ाही में उबालकर पूरी डाल के कुकर्म मत बार-बार घोटिये” से राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रहार किया। इसी क्रम में राम कुमार पिया कुपार ने मनमानियों पर कलम चलाने की प्रेरणा देते हुए सम्मेलन को ऊँचाई पर पहुँचाया।कार्यक्रम के आयोजक आशीष सोनी थे, जिन्होंने दीप प्रज्वलित कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ कराया। कवियों की प्रस्तुतियों से पूरा वातावरण गूंज उठा और देर रात तक श्रोता साहित्यिक रस में डूबे रहे।इस कवि सम्मेलन ने न केवल कजरीतीज मेले की रौनक को और बढ़ाया बल्कि समाज को भी साहित्य और कविता के माध्यम से नई दिशा देने का कार्य किया।

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Author: Hind Lekhni News

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