
कर्नलगंज, गोंडा – स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक मामला तहसील मुख्यालय स्थित कस्बा कर्नलगंज के पंजाबी कॉलोनी, श्री गुरु सिंह सभा के पीछे से सामने आया है। यहाँ वर्षों से संचालित हो रहे दर्शन क्लीनिक पर गंभीर अनियमितताओं और अवैध गतिविधियों के आरोप लगे हैं। यह खुलासा तब हुआ जब स्थानीय महिला निशी तिवारी पत्नी ओमप्रकाश तिवारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को एक विस्तृत शिकायती पत्र सौंपकर इस चिकित्सालय को तत्काल बंद करवाने और संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
शिकायत में क्या-क्या आरोप लगाए गए?
निशी तिवारी के अनुसार, दर्शन क्लीनिक का संचालन डॉ. गुरुदीप सिंह नामक व्यक्ति कर रहे हैं, जिनके पास केवल बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री है। यह डिग्री केवल होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में इलाज की अनुमति देती है, लेकिन शिकायत के मुताबिक, डॉ. गुरुदीप सिंह नियमों को ताक पर रखकर मरीजों को आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाएं भी दे रहे हैं। यह कार्य चिकित्सा कानून और स्वास्थ्य मानकों के सीधा उल्लंघन के दायरे में आता है।
इसके अलावा, शिकायत में यह भी कहा गया है कि क्लीनिक में मरीजों को ‘सूखा रोग’ के नाम पर बार-बार बुलाया जाता है और हर बार उनसे अत्यधिक शुल्क वसूला जाता है। आरोप है कि मरीजों को अंधविश्वास में डालने के लिए कड़ा और फुरेरी जैसे तथाकथित धार्मिक/जादुई उपाय अपनाए जाते हैं, जो वैज्ञानिक दृष्टि से कोई आधार नहीं रखते और सीधे-सीधे शोषण की श्रेणी में आते हैं।
आपातकालीन सुविधाओं का अभाव।
शिकायत पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दर्शन क्लीनिक में न तो किसी आपातकालीन स्थिति में अग्निशमन वाहन के पहुंचने की व्यवस्था है, और न ही एंबुलेंस की कोई सुविधा। किसी भी गंभीर हालत में मरीज की जान बचाने के लिए आवश्यक मूलभूत साधन पूरी तरह नदारद हैं।
अवैध दवा निर्माण का गंभीर आरोप।
निशी तिवारी ने यह भी दावा किया है कि क्लीनिक के अंदर बड़े पैमाने पर आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य मंत्रालय के मानकों और दवा निर्माण नियमों का सीधा उल्लंघन है। बिना लाइसेंस और अनुमति के दवाओं का उत्पादन करना न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह मरीजों के जीवन के लिए भी खतरा है, क्योंकि ऐसी दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता की कोई गारंटी नहीं होती।इस पूरे मामले ने स्थानीय लोगों के बीच रोष और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। कस्बे के कई निवासियों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता की वजह से ऐसे अवैध चिकित्सालय वर्षों तक बिना रोक-टोक चलते रहते हैं।
एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा –
“हमारे इलाके में ऐसे क्लीनिक लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। गरीब और अशिक्षित मरीज अंधविश्वास और झूठे दावों में फंस जाते हैं। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन सख्त कदम उठाए।”
अब तक सीएमओ कार्यालय से इस गंभीर शिकायत पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह चुप्पी और भी सवाल खड़े करती है –
- क्या स्वास्थ्य विभाग इस शिकायत को गंभीरता से लेगा?
- क्या दोषी के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी?
- या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
यह मामला केवल एक क्लीनिक के अवैध संचालन का नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र की कमजोरियों, नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। यदि ऐसे अवैध चिकित्सालयों पर तुरंत लगाम नहीं लगाई गई, तो यह किसी बड़ी त्रासदी को न्योता देने जैसा होगा।
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन जागेगा, या फिर मरीजों की जान से खिलवाड़ का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा…

Author: Hind Lekhni News
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