कर्नलगंज में चार ग्राम पंचायतों पर मेहरबानी, 67 उपेक्षित — विकास की बजाय बंदरबांट पर सवाल

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105.57 लाख की योजना में 84.3 लाख सिर्फ चार गांवों पर खर्च, उठे घोटाले के आरोप

गोंडा/कर्नलगंज। विकास के नाम पर भेदभाव और बंदरबांट की आशंका ने कर्नलगंज ब्लॉक में सवालों की बौछार कर दी है। यहां की कुल 71 ग्राम पंचायतों में से मात्र चार ग्राम पंचायतों — कूरी, कटरा शहबाजपुर, मलौली और धनावा — को ही हाईमास्ट और सोलर लाइट लगाने के लिए चुना गया है। जबकि शेष 67 ग्राम पंचायतों को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया है।

सवाल उठ रहा है कि आखिर इन चार गांवों को ही किस आधार पर प्राथमिकता दी गई? जवाब में जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

महज चार गांवों पर खर्च के आँकड़े चौंकाने वाले

पंद्रहवें वित्त आयोग की निधि से 105.57 लाख रुपये की योजना में से 84.3 लाख रुपये केवल चार ग्राम पंचायतों में खर्च किए जा रहे हैं। एक हाईमास्ट की कीमत ₹7.13 लाख तय की गई है, जबकि सोलर लाइटों के लिए प्रति पंचायत लाखों खर्च किए जा रहे हैं। इसमें ब्लॉक परिसर को भी दो हाईमास्ट के रूप में विशेष लाभ मिला है।

ग्राम पंचायतों में खर्च का ब्यौरा

  • कूरी ग्राम पंचायत – 4 हाईमास्ट + 30 सोलर लाइट = ₹36.31 लाख

  • कटरा शहबाजपुर – 2 हाईमास्ट + 30 सोलर लाइट = ₹22.05 लाख

  • धनावा – 1 हाईमास्ट + 30 सोलर लाइट = ₹14.92 लाख

  • मलौली – 1 हाईमास्ट + 15 सोलर लाइट = ₹11.02 लाख

  • ब्लॉक परिसर – 2 हाईमास्ट = ₹14.26 लाख

  • अन्य 67 ग्राम पंचायतें – मात्र 27 सोलर लाइट = ₹7.01 लाख

भेदभाव और भ्रष्टाचार के आरोप

राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव व कचनापुर ग्राम प्रधान राकेश मोहन तिवारी ने आरोप लगाया कि “खड़ाऊँ राज” के चलते विकास सिर्फ चहेते गांवों में सिमट कर रह गया है। 67 ग्राम पंचायतों के लोग अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

अधिकारी मौन, जवाब अधूरा

जब बीडीओ से सवाल किया गया कि सिर्फ चार गांवों को ही क्यों चुना गया, तो उन्होंने कहा कि यह प्रमुख के प्रस्ताव पर आधारित है, लेकिन बाकी सवालों पर उन्होंने चुप्पी साध ली। यह भी स्पष्ट नहीं हो सका कि बिजली बिल का भुगतान किसके द्वारा किया जाएगा।


निष्कर्ष:
यह पूरा मामला भेदभाव और संभावित घोटाले की ओर इशारा करता है। विकास की योजनाएं सभी के लिए होनी चाहिए न कि चुनिंदा गांवों के लिए। यदि समय रहते प्रशासन ने पारदर्शिता नहीं दिखाई तो यह योजना सवालों के घेरे में बनी रहेगी।

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