दबंगों की गुंडागर्दी से मचा हड़कंप, पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

चकमार्ग और खलिहान को कब्जा मुक्त कराने गई राजस्व टीम पर हमला, दबंगों की गुंडागर्दी से मचा हड़कंप, पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल

गोंडा से रिपोर्ट | ग्राम रेकसाड़िया में ज़मीन विवाद ने लिया हिंसक रूप, पीड़ित ने एसपी से लगाई न्याय की गुहार।

राजस्व टीम द्वारा बनाया गया स्पॉट मेमो।
राजस्व टीम द्वारा बनाया गया स्पॉट मेमो।

गोंडा जनपद की करनैलगंज तहसील अंतर्गत ग्राम रेकसाड़िया से आई एक गंभीर घटना ने न केवल प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि गांव की कानून व्यवस्था को भी कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। यह मामला गाटा संख्या 1136 क और 1138 से जुड़ा हुआ है, जो चकमार्ग और खलिहान की भूमि है। बताया जा रहा है कि उक्त भूमि पर वर्षों से कुछ दबंग लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर रखा गया था, जिसके संबंध में पीड़ित रितेश सिंह पुत्र देवेन्द्र सिंह ने लंबे समय से न्याय की गुहार लगाई थी।

दिनांक 11 मई 2025 को जिलाधिकारी के निर्देशानुसार राजस्व विभाग की टीम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची। टीम जैसे ही जमीन की पैमाइश कर निशानदेही कर रही थी, तभी मौके पर अवैध कब्जाधारी पहुंच गए और गाली-गलौज करते हुए बवाल शुरू कर दिया। देखते ही देखते माहौल हिंसक हो गया और स्थिति इतनी भयावह हो गई कि राजस्व टीम और पुलिस कर्मियों को जान बचाकर भागना पड़ा।

दबंगों का खौफ – प्रशासन भी खामोश।

इस घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि राजस्व और पुलिस टीम की मौजदूगी में हुए इस हमले के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। सूत्रों के अनुसार, विपक्षियों का दबाव इतना है कि मौके पर उपस्थित अधिकारियों ने घटना पर बयान देने से मना कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये दबंग पूर्व से ही कई बार इस प्रकार की हरकतों को अंजाम दे चुके हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने इनकी हिम्मत को और बढ़ा दिया है।

पीड़ित ने एसपी से लगाई गुहार।

घटना के बाद पीड़ित धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने पुलिस अधीक्षक गोंडा से मिलकर एक प्रार्थना पत्र सौंपा। उन्होंने न केवल स्वयं की सुरक्षा की मांग की, बल्कि चकमार्ग व खलिहान की भूमि को कब्जा मुक्त कराने की मांग करते हुए निष्पक्ष जांच की गुहार लगाई है। पुलिस अधीक्षक ने उन्हें शीघ्र न्याय दिलाने और कड़ी कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

स्पॉट मेमो में दर्ज हुआ बवाल

घटना के बाद तैयार किए गए स्पॉट मेमो में इस बात की पुष्टि की गई है कि गन्ने की फसल की मौजूदगी और विपक्षियों के आक्रामक रवैये के कारण राजस्व टीम जुताई कार्य पूरा नहीं कर सकी। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने यह भी माना कि दोबारा पर्याप्त पुलिस बल की मौजूदगी में ही कार्यवाही की जा सकेगी।

ग्रामीणों में भय, प्रशासन की चुप्पी।

गांव के लोगों में इस घटना को लेकर भय और आक्रोश दोनों का माहौल है। लोगों का कहना है कि यदि अब भी प्रशासन ने सख्त कार्यवाही नहीं की, तो ऐसे दबंगों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे। गांव में किसी भी समय कानून-व्यवस्था की स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है। कई ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दबंगों की धमकियों से लोग खामोश हैं और बोलने से डरते हैं।

कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल

यह मामला अब महज एक भूमि विवाद नहीं रहा, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली की परीक्षा बन चुका है। सवाल यह है कि जब प्रशासनिक टीम और पुलिस बल की मौजूदगी में हमला हो सकता है, तो आम नागरिक की सुरक्षा की क्या गारंटी है? क्या दबंगों के सामने कानून व्यवस्था भी घुटने टेक चुकी है?

अब आगे क्या ?

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या कार्यवाही करता है। क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी? क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा? या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह कागजों में ही दफन होकर रह जाएगा?

Leave a Comment

और पढ़ें

best news portal development company in india