

“कानून बना तमाशा, शराब माफिया का राज! — कर्नलगंज में आबकारी निरीक्षक की चुप्पी पर उठे सवाल”
आबकारी विभाग की मिलीभगत से कर्नलगंज में खुलेआम शराब माफियाओं का बोलबाला — सकरौरा देशी मदिरा की दुकान बनी भ्रष्टाचार की पाठशाला, शिकायतों पर अधिकारियों का “OK” जवाब चर्चा में
कर्नलगंज (गोंडा):कर्नलगंज में कानून अब बोतलों में बंद होकर बिक रहा है — और उसे बेचने वाले हैं वही जिन्हें इसकी रखवाली करनी चाहिए! क्षेत्र 4 के आबकारी निरीक्षक की “मूक सहमति” से सकरौरा स्थित देशी मदिरा की दुकान पर हर सुबह खुलेआम अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से चल रही है। सुबह होते ही दुकान पर भीड़ लग जाती है, जैसे कोई मेले का मंजर हो — पर यह मेला शराब का है, और कानून इसमें सिर झुकाए खड़ा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह 5 बजे से ही दुकान पर शराब बिकनी शुरू हो जाती है, जबकि नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि निर्धारित समय से पहले बिक्री पूर्णतः प्रतिबंधित है। मगर यहां नियमों का नहीं, रेट का राज चलता है! सुबह-सुबह ₹70 वाली फ्रूटी ₹90 में, और आधी खोलकर ₹45 में — यह है कर्नलगंज की ‘खुली लूट’।
गाँधी जयंती के दिन — जब पूरे प्रदेश में शराबबंदी लागू थी — तब भी इस दुकान पर मदिरा का कारोबार पूरे दिन चलता रहा। और सबसे हैरान करने वाली बात यह कि आबकारी निरीक्षक क्षेत्र 4 को इस सबकी शिकायत कई बार की जा चुकी है, मगर उनकी तरफ से कार्रवाई नहीं, बल्कि “खामोशी” मिली।
जब “हिंद लेखनी न्यूज़” ने निरीक्षक से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कॉल उठाना भी जरूरी नहीं समझा। और जब व्हाट्सएप पर सूचना भेजी गई, तो उनका जवाब मात्र एक शब्द — “OK”। यही “OK” अब सवालों के घेरे में है। क्या यही “OK” अवैध कारोबार की मौन स्वीकृति है?
लोग पूछ रहे हैं —
➡️ क्या कर्नलगंज का आबकारी विभाग शराब माफियाओं की जेब में है?
➡️ क्या शिकायतें अब सिर्फ “OK” लिखने भर की औपचारिकता बन गई हैं?
➡️जब शासन शराब माफिया पर नकेल कसने के सख्त आदेश दे रहा है, तो यहां आदेशों की धज्जियाँ कौन उड़ा रहा है?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सब बिना विभागीय संरक्षण के संभव ही नहीं है। रोज़ सुबह शराब के नशे में चूर लोग सड़क पर झूमते दिखते हैं,स्कूल के पास ठेका होने के कारण बच्चे और अध्यापक अध्यापिकाओं को इसी ठेके के सामने से गुजर कर स्कूल तक जाना होता है,और शराबी सुबह से ही शराब के नशे में झूमते रहते है।और दुकानदार ओवररेट में जेबें भर रहे हैं। वहीं, अधिकारी आँख मूँदकर मौन साधे हुए हैं — मानो सबकुछ सामान्य हो।
साफ है, यह केवल अवैध शराब की बिक्री नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम पर एक तमाचा है।
आम जनता त्रस्त है, और अधिकारी मौन। यही है कर्नलगंज की हकीकत — जहाँ शिकायतों की फाइलों में “OK” लिखकर भ्रष्टाचार को “ओके” कहा जा रहा है।
अब सवाल जनता का है:अगर ऐसे ही “OK” जवाब मिलते रहे, तो कानून का मज़ाक उड़ाते शराब माफिया कब तक आबकारी निरीक्षक की आड़ में फलते-फूलते रहेंगे?
अब समय है — कि जिलाधिकारी व वरिष्ठ आबकारी अधिकारी तत्काल जांच कर सकरौरा देशी मदिरा की दुकान पर छापेमारी करें, और ऐसे निरीक्षक को बर्खास्त करें जो शिकायतों को फाइल में “OK” लिखकर दफन करता है।
️ हिंद लेखनी न्यूज़ | कर्नलगंज, गोंडा

Author: HIND LEKHNI NEWS
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