कर्नलगंज में संपत्ति कर और स्वकर प्रणाली के विरोध में सभासदों का प्रदर्शन, तहसील पर सौंपा ज्ञापन

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कर्नलगंज (गोंडा)  नगर पालिका परिषद कर्नलगंज में प्रस्तावित संपत्ति कर निर्धारण और मासिक स्वकर प्रणाली लागू किए जाने के खिलाफ शुक्रवार को सभासदों और नागरिकों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नगर पालिका कार्यालय से जुलूस निकालकर मुख्य मार्गों पर नारेबाजी की और तहसील पहुंचकर उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।

प्रदर्शनकारी सभासदों का कहना था कि 23 दिसंबर 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार लागू की गई स्वकर प्रणाली और मनमाने ढंग से संपत्ति कर में वृद्धि से जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस नीति को लागू करने से पहले नगर निकाय से कोई सलाह नहीं ली गई, जो कि स्वशासी संस्था है और संविधान के अनुसार किसी भी नीति के कार्यान्वयन से पूर्व बोर्ड की बैठक में अनुमोदन जरूरी होता है।

सभासदों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों से कर वसूलना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि यह गरीब जनता की पीड़ा को बढ़ाने वाला कदम है। साथ ही, जब संविदा कर्मचारियों को मात्र ₹10,000 मासिक मानदेय दिया जा रहा है, तब उन पर अतिरिक्त कर थोपना अमानवीय और असंवेदनशील निर्णय है। सभासदों ने यह भी बताया कि सरकार ने न तो नागरिकों को भू-स्वामित्व देने की कोई व्यवस्था की है और न ही भवन निर्माण की स्पष्ट रूपरेखा बनाई है।

प्रदर्शन में सभासद महताब बानो (वार्ड 19), अन्सारिया खातून (वार्ड 3), कन्हैयालाल वर्मा, गुफरान अंसारी, गीता देवी, रवि कुमार (वार्ड 2), मुख्तार अब्बासी (वार्ड 13), पवन कुमार (वार्ड 7), सरोज (वार्ड 8), सुमन (वार्ड 15), सुमन गुप्ता (वार्ड 18), अंकुर मौर्य (वार्ड 11), सचिन कुमार (वार्ड 12), अजय कुमार, डॉ. रामतेज, पूर्व सभासद अनिल गुप्ता, मोहम्मद साजिद सिद्दीकी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

इस दौरान “मनमानी कर वृद्धि वापस लो”, “जनता पर अत्याचार बंद करो”, जैसे नारे लगाए गए। सभासदों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस जनविरोधी नीति को वापस नहीं लिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

ज्ञापन पर सभासदों के हस्ताक्षर, मुहर और अंगूठे के निशान भी लगाए गए हैं, जिससे यह साफ है कि यह विरोध केवल राजनीतिक नहीं बल्कि जनता की वास्तविक पीड़ा को स्वर दे रहा है। अब देखना होगा कि शासन इस आंदोलन को कितना गंभीरता से लेता है।

 

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