गलत आख्या पर होगी कार्रवाई, मंडल को आईजीआरएस रैंकिंग में शीर्ष बनाए रखने का निर्देश

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शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण को लेकर सख्त हुए देवीपाटन आयुक्त, शिकायतकर्ताओं से किया सीधा संवाद।



गोण्डा, 11 जुलाई 2025।देवीपाटन मंडल के आयुक्त ने शनिवार को आईजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम) पोर्टल पर प्राप्त जनशिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए खुद मोर्चा संभालते हुए एक नई पहल की। उन्होंने कार्यालय में बैठकर पोर्टल पर दर्ज कई निस्तारित शिकायतों के शिकायतकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से फोन पर संवाद किया और उनसे फीडबैक प्राप्त किया। यह कदम शासन की मंशा के अनुरूप जनसुनवाई प्रक्रिया को अधिक जवाबदेह और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली प्रत्येक शिकायत को पूरी गंभीरता के साथ लिया जाए और उसका समाधान गुणवत्तापूर्ण व समयबद्ध रूप से किया जाए। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता से वार्ता कर यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वह निस्तारण से संतुष्ट है या नहीं। यदि शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है, तो मामले की दोबारा समीक्षा कर उचित कार्रवाई की जाए। इस दौरान जिन शिकायतकर्ताओं ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी, उनके मामलों में आयुक्त ने संबंधित अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में गलत आख्या स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर किसी अधिकारी द्वारा झूठी रिपोर्ट लगाई गई या शिकायत को गुमराह कर निस्तारित दिखाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि शासन स्तर से आईजीआरएस की लगातार समीक्षा की जाती है और इसकी रैंकिंग सीधे-सीधे अधिकारियों के प्रदर्शन को दर्शाती है। देवीपाटन मंडल विगत माह आईजीआरएस रैंकिंग में प्रथम स्थान पर रहा है, जिसे बरकरार रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोई भी शिकायत डिफाल्टर न हो, इसके लिए समय रहते उसका निस्तारण कर दिया जाए।

आयुक्त ने यह भी कहा कि जनसुनवाई के विभिन्न मंच—जैसे संपूर्ण समाधान दिवस, थाना दिवस और जनता दर्शन—का बेहतर उपयोग कर अधिक से अधिक शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण किया जाए, ताकि पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि कई शिकायतें इसलिए भी आती हैं क्योंकि पात्र व्यक्तियों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों को योजनाओं की सही जानकारी देकर उन्हें लाभार्थियों तक पहुंचाना चाहिए।

आयुक्त की इस पहल को जनसुनवाई तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। आमजन की शिकायतों पर प्रत्यक्ष संवाद से प्रशासन की पारदर्शिता और संवेदनशीलता दोनों का प्रदर्शन हुआ है। अब देखना यह होगा कि आयुक्त के निर्देशों का पालन किस हद तक होता है और इससे शिकायत निस्तारण की गुणवत्ता में कितना सुधार आता है। हालांकि आम जनता को उम्मीद है कि इस कदम से उन्हें न्याय मिलने की प्रक्रिया अब और अधिक सहज व प्रभावी होगी।

 

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