भाईचारे को किया तार-तार: ज़मीन के विवाद में सगे भाई ने ही किया जानलेवा हमला, देर रात घर में घुसकर की मारपीट, गाली-गलौज और धमकी से दहशत में परिवार
गोंडा, परसपुर।
जिला गोंडा के परसपुर थाना क्षेत्र में पारिवारिक रिश्तों को कलंकित कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां सगे भाई ने ही जमीन के हिस्से को लेकर अपने भाई पर जानलेवा हमला कर दिया। यह घटना परसपुर क्षेत्र के ग्राम तिवारी पुरवा बहुवन मदार माझा की है, जहां श्री बबलू पुत्र सुन्दर यादव के साथ उनके ही सगे भाई बब्बन यादव ने गंभीर विवाद के बाद हिंसात्मक हमला किया।
पीड़ित श्री बबलू के अनुसार, दिनांक 21 मई 2025 को उनके सगे भाई बब्बन यादव ने जबरन उनके हिस्से की पैतृक भूमि में हिस्सा मांगना शुरू कर दिया। बबलू यादव द्वारा इसका विरोध करने पर यह पारिवारिक विवाद ने उग्र रूप धारण कर लिया। उसी रात करीब 11:30 बजे विपक्षी बब्बन यादव ने अपने भाई बबलू के घर में घुसकर न सिर्फ गाली-गलौज की, बल्कि लाठी-डंडे, मुक्के और थप्पड़ों से बर्बर तरीके से मारपीट भी की।
पीड़ित का कहना है कि इस दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई, जिससे उनका पूरा परिवार दहशत में है। घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया। इस हिंसक कृत्य से ग्रामीणों में भी आक्रोश है, वहीं परिवार मानसिक आघात से जूझ रहा है।
घटना की सूचना मिलने के बाद परसपुर थाने में पीड़ित ने तत्काल पहुंचकर लिखित शिकायत दी। इस मामले पर परसपुर थाना प्रभारी निरीक्षक श्री तेज प्रताप सिंह ने बताया कि “पीड़ित बबलू पुत्र सुन्दर यादव की तहरीर के आधार पर आरोपी बब्बन यादव के विरुद्ध संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रारंभ कर दी गई है और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।”
इस घटना ने न सिर्फ क्षेत्र में सनसनी फैला दी है बल्कि पारिवारिक विवादों की जटिलता और जमीन के मसलों में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति पर भी चिंता बढ़ा दी है। समाजशास्त्रियों का मानना है कि पैतृक संपत्ति को लेकर विवादों का समाधान समय रहते न किया जाए तो ये विवाद पारिवारिक रिश्तों को खत्म करने के साथ-साथ हिंसक रूप भी ले सकते हैं।
गांव के बुजुर्गों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस मामले में कठोर कदम उठाने और पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने की मांग की है। साथ ही ग्रामीणों ने अपील की है कि ऐसे मामलों में मध्यस्थता और आपसी समझ से समाधान निकालने की परंपरा को फिर से जीवंत किया जाए, ताकि भाई-भाई के बीच की रेखा खून से लाल न हो।
