साढ़े सात माह बाद भी नहीं सुलझा गोंडा में ब्लाइंड मर्डर, दुष्कर्म की थी आशंका

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गोंडा। जिले के थाना कटराबाजार क्षेत्र के सेल्हरी कुशहा गांव में 6 अक्तूबर 2024 को बोरे में युवती का शव मिलने से सनसनी फैल गई थी। बोरे में युवती का शव फेंककर आरोपी मौके से फरार हो गए थे। युवती की शिनाख्त न होने से 72 घंटे बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ था। मगर कटराबाजार पुलिस महिला अपराध की इस गंभीर घटना में अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

6 अक्तूबर 2024, रविवार की सुबह ग्रामीणों को सड़क किनारे गन्ने के खेत में खून से भीगी एक बोरी पड़ी दिखी थी। ग्रामीणों की सूचना पर कटरा बाजार पुलिस, एसपी विनीत जायसवाल, एएसपी राधेश्याम राय समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। बोरी को खोला गया तो उसमें काली जींस और लाल दुपट्टा में युवती का शव बरामद हुआ। उस समय पुलिस ने मीडिया को बताया कि गत रात 20 वर्षीय अज्ञात युवती की गला रेतकर हत्या की गई और शव को छुपाने के लिए बोरे में भरकर सेल्हरी कुशहा गांव के पास फेंकी गई। मौके पर डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए। पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने दावा किया था कि उसी दिन घटना के खुलासे के लिए 5 टीमें गठित की थी।

महिला अपराध की इस गंभीर घटना में युवती का शव मिलने के बाद बेपरवाह पुलिस बिना एफआईआर दर्ज किए ही 22 दिन तक जांच के दावे करती रही। युवती की लाश मिलने के 23 दिन बाद पुलिस ने 28 अक्तूबर 2024 को चौकीदार यशवंत की तहरीर पर मामले में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में एसपी ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार गुप्ता को 4 नवंबर 2024 को लाइन हाजिर कर दिया। 5 नवंबर को जिले के तेजतर्रार इंस्पेक्टर राजेश सिंह को थाने की कमान सौंपी गई।

6 नवंबर 2024 को राजेश सिंह ने थाने का चार्ज लिया। उसके बाद एसपी विनीत जायसवाल ने खुलासे के लिए 4 इंस्पेक्टर व 10 उपनिरीक्षक समेत 40 पुलिसकर्मियों की खुलासे के लिए दो टीमें बनाई। जिसमें एसओजी के अलावा स्थानीय थाने के पुलिसकर्मियों को लगाया गया। इसमें कटराबाजार प्रभारी निरीक्षक राजेश सिंह, इंस्पेक्टर अरविंद सिंह व रमाशंकर राय तथा सहयोग के लिए लाइन हाजिर इंस्पेक्टर संजय गुप्ता शामिल हुए। पुलिस का दावा रहा कि युवती की शिनाख्त के लिए रेलवे क्रॉसिंग समेत जगह-जगह पोस्टर लगाए गए, अनाउंसमेंट कराया गया। आठ जिलों में पुलिस टीम जाकर लापता युवतियों का ब्योरा जुटाई। कई संदिग्धों से लंबी पूछताछ की। युवती की पहचान बताने वाले व्यक्ति को पुलिस 50,000 नगद देने का भी एलान किया। अब तक घटना संबंधित कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

इंस्पेक्टर राजेश सिंह को कटराबाजार थाने की जिम्मेदारी संभाले साढ़े छः महीने बीत चुके हैं। फिर भी मामले में न कोई ठोस सबूत मिले न खुलासा हो सका है। माना जा रहा है कि पुलिस इस मामले में जांच कर आरोपियों की धरपकड़ के बजाय जांच के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। लोगों का कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता के चलते 6 अक्तूबर 2024 से अब तक हत्या की गुत्थी नहीं सुलझा पाई। अब तक कटराबाजार पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। इतना ही नहीं अब तक महिला अपराध की इस गंभीर घटना में बेपरवाह पुलिस युवती की शिनाख्त तक नही कर पाई।

मामले की जांच के दौरान घटनास्थल से पुलिस ने एक सिम कार्ड बरामद किया था। उम्मीद थी कि इसी सिमकार्ड से न सिर्फ युवती की पहचान होगी, बल्कि कातिलों तक पहुंचने में भी पुलिस को मदद मिलेगी, लेकिन जांच में सिमकार्ड रिजेक्ट मिला। आसपास के संदिग्धों से पूछताछ की गई थी। चर्चा थी कि सेल्हरी मंडप चौराहे के पास एक दुकान पर युवती को पूर्व में देखा गया था। पुलिस ने संबंधित दुकान के सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाला। मगर कैमरा बंद पाया गया। आशंका है कि दुष्कर्म के विरोध में युवती की हत्या की गई थी।

पीएम रिपोर्ट पर भी उठ रहे थे सवाल

युवती की पहचान न होने से शव 3 दिन तक मर्च्यूरी में रखा गया था। 72 घंटे बाद हुई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की घटना भी सिद्ध नहीं हो सकी थी, जबकि उसके शरीर पर मिले कपड़े इंगित कर रहे थे कि उसके साथ दुष्कर्म की घटना घटी होगी।

Ashish Kumar
Author: Ashish Kumar

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