करनैलगंज (गोंडा), 4 जून 2025 —
जननी सुरक्षा योजना के नाम पर सरकार जहां प्रसूताओं को मुफ्त व गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जनपद गोंडा के करनैलगंज विकास खंड अंतर्गत जननी सुरक्षा केंद्र पाल्हापुर में अवैध वसूली और भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिससे क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है।
शिकायत संख्या 40018325016772 के अनुसार, सुभम नामक एक शिकायतकर्ता ने दिनांक 31 मई 2025 को अपनी गर्भवती पत्नी गीता को प्रसव हेतु पाल्हापुर के जननी सुरक्षा केंद्र में भर्ती कराया था। जहां सफल प्रसव के उपरांत केंद्र की स्टाफ शशि किरण ने उनसे ₹10,000 की मांग की। जब सुभम ने बताया कि उसके पास इतनी रकम नहीं है, तो शशि किरण के पति कमलेश आक्रोशित हो गए और दुर्व्यवहार करने लगे।
शिकायतकर्ता के अनुसार, काफी अनुनय-विनय के बाद भी उनसे जबरन ₹5,000 की अवैध वसूली कर ली गई। इस घटना की जानकारी उन्होंने ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुनील सिंह को दी, जिनके हस्तक्षेप पर भी मात्र ₹2,500 की राशि वापस की गई। इसके अलावा शिकायत में यह भी उल्लेख है कि प्रसव के दौरान आवश्यक सभी दवाएं बाहर से लिखी गईं, जिन्हें सुभम को अपने पैसे से खरीदना पड़ा। यह स्थिति स्पष्ट रूप से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विफलता और भ्रष्टाचार की भयावह तस्वीर पेश करती है।
सरकारी योजनाओं को पलीता
यह घटना केवल एक मरीज की नहीं, बल्कि उस सम्पूर्ण व्यवस्था की विफलता है, जहां मुफ्त सेवाओं का झूठा दावा कर गरीबों को लूटा जा रहा है। जननी सुरक्षा योजना, जो गरीब और जरूरतमंद गर्भवती महिलाओं को मुफ्त प्रसव सेवा उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिखाई दे रही है।
प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की मांग
शिकायत की स्थिति विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी चिकित्साधिकारी/अधीक्षक (पी० एच० सी० सी० एच० सी०), करनैलगंज के पास अग्रसारित कर दी गई है, जिसकी अंतिम निस्तारण तिथि 17 जून 2025 निर्धारित की गई है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करता है।
स्थानीय जनता में आक्रोश
इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, पाल्हापुर जननी केंद्र में पहले भी कई बार अवैध वसूली, लापरवाही और दवा की कालाबाज़ारी के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी ठोस कार्रवाई नहीं की।
सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ तभी अंतिम व्यक्ति तक पहुंच पाएगा जब ज़मीनी स्तर पर जवाबदेही, पारदर्शिता और सख्त निगरानी सुनिश्चित की जाए। यह मामला सिर्फ सुभम और उसकी पत्नी गीता का नहीं, बल्कि हर उस गरीब माँ का है जो जननी सुरक्षा योजना के सहारे सुरक्षित मातृत्व की आशा लेकर अस्पताल की दहलीज पर पहुंचती है।
क्षेत्र के लोगों द्वारा शासन-प्रशासन से मांग करता है कि:
➡️ दोषी कर्मचारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।
➡️ पूरे केंद्र की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच हो।
➡️ पीड़ित को आर्थिक क्षतिपूर्ति दी जाए।
➡️ जननी योजना के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों के लिए पारदर्शी निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए
