
अनामिका शुक्ला प्रकरण में गोंडा कोर्ट का बड़ा आदेश, बीएसए समेत 6 अधिकारियों पर दर्ज होगी एफआईआर
गोंडा। बहुचर्चित अनामिका शुक्ला प्रकरण में गोंडा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित सिंह द्वितीय ने बड़ा फैसला सुनाते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अतुल कुमार तिवारी समेत छह अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश जन संवाद मंच के सचिव प्रदीप कुमार पांडे की याचिका पर दिया गया।
आरोपियों में बीएसए के अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के पटल लिपिक सुधीर सिंह, वित्त एवं लेखा अधिकारी सिद्धार्थ दीक्षित, पटल लिपिक अनुपम पांडे, भैया चंद्रभान दत्त स्मारक लघु माध्यमिक विद्यालय रामपुर टेंगरहा के प्रबंधक और प्रधानाचार्य शामिल हैं। कोर्ट ने नगर कोतवाली पुलिस को दस दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
2020 में हुआ था बड़ा खुलासा
अनामिका शुक्ला प्रकरण वर्ष 2020 में सुर्खियों में आया था। तब यह सामने आया कि अनामिका शुक्ला के नाम पर प्रदेश के 25 कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में फर्जी नियुक्तियां कर करोड़ों रुपए का वेतन निकाला जा रहा था। इस घोटाले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच एसटीएफ को सौंपी थी। जांच के दौरान असली अनामिका शुक्ला गोंडा के बीएसए कार्यालय पहुंचीं और खुद को बेरोजगार बताते हुए अपने शैक्षिक दस्तावेजों के दुरुपयोग की शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ और कई लोग जेल भेजे गए।
फर्जी नियुक्ति का सिंडिकेट सक्रिय
प्रदीप पांडे की याचिका में आरोप लगाया गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग में एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जो युवाओं का डाटा लीक कर उनके नाम से फर्जी नियुक्तियां करता है और करोड़ों का गबन करता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अनामिका शुक्ला का मामला भी इसी गिरोह की करतूत है, जिसमें उनकी डिग्री और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अवैध नियुक्ति दिखाई गई।
अनामिका शुक्ला बनीं आरोपी
प्रकरण के शुरूआती चरण में अनामिका शुक्ला ने खुद को पीड़ित बताया था, लेकिन विवेचना के दौरान सामने आया कि वे वास्तव में 2017 से ही गोंडा के भैया चंद्रभान दत्त स्मारक विद्यालय, रामपुर टेंगरहा में सहायक अध्यापक के तौर पर कार्यरत थीं और सरकारी वेतन भी ले रही थीं। सोशल मीडिया पर वायरल दस्तावेजों में भी यह स्पष्ट हुआ कि वेतन भुगतान 2017 से होता रहा है।
विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत
याचिका में आरोप है कि बीएसए कार्यालय में अनामिका शुक्ला की नियुक्ति का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है और न ही वेतन भुगतान के आदेश जारी किए गए। इसके बावजूद वित्त एवं लेखा अधिकारी के कार्यालय से संशोधन के माध्यम से उनके नाम पर लगातार वेतन जारी किया गया। यही नहीं, जनवरी 2025 में भी अनामिका शुक्ला के खाते में वेतन भेजा गया, जिसका कोई वैध आधार विभाग के पास उपलब्ध नहीं था।
जांच और कार्रवाई की मांग
प्रदीप पांडे ने आरोप लगाया कि शिकायतों के बावजूद अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। अंततः न्यायालय ने मामले को गंभीर मानते हुए बीएसए समेत छह अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अब यह देखना होगा कि नगर कोतवाली पुलिस दस दिन में कोर्ट के निर्देशों का पालन कैसे करती है और इस हाई-प्रोफाइल प्रकरण में आगे क्या कार्रवाई होती है।

Author: Hind Lekhni News
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