


गोंडा। जनपद गोंडा में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान जिले की शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी — जिलाधिकारी (IAS) को बैठने तक के लिए उपयुक्त स्थान न मिल पाना, अब एक गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण मुद्दा बन गया है। यह दृश्य न केवल अफसोसजनक है बल्कि शासन-प्रशासन के संतुलन और महिलाओं के सम्मान पर भी सवाल खड़ा करता है।
बताया जा रहा है कि यह घटना उस समय की है जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जनपद दौरे पर थे और जिले में विकास कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। इस उच्च स्तरीय कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों के लिए प्रमुख स्थान सुनिश्चित किया गया था, लेकिन जनपद की मुखिया के रूप में उपस्थित महिला IAS अधिकारी को उचित सम्मान और बैठने का स्थान नहीं दिया गया।
इस घटनाक्रम को लेकर आमजन और कई बुद्धिजीवी वर्गों ने नाराजगी जताई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा—
“हम इस पोस्ट का समर्थन करते हैं और ऐसे कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
लोगों ने यह भी कहा कि—
“जब एक जिले की सबसे वरिष्ठ और शिक्षित महिला अधिकारी को मंच या बैठक में उचित स्थान नहीं दिया जाता, तो यह इस बात का संकेत है कि नेताओं के सामने शिक्षा और पद की गरिमा अब कोई मायने नहीं रखती। इसीलिए आज युवा जनसेवा की जगह राजनीति को प्राथमिकता देने लगे हैं।”
इस पूरे मामले ने शासन-प्रशासन की कार्यशैली और महिला अधिकारियों के सम्मान को लेकर नई बहस छेड़ दी है। कई लोगों ने इसे प्रोटोकॉल और शिष्टाचार की सीधी अनदेखी बताया है।
अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले में सरकार और संबंधित अधिकारी कोई प्रतिक्रिया देते हैं या फिर यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
यह घटना महिलाओं के सम्मान, अफसरशाही की गरिमा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के संतुलन पर एक गहन प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
