महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और सशक्तिकरण को लेकर प्रतिबद्ध है राज्य महिला आयोग: अपर्णा यादव

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जनसुनवाई से लेकर निरीक्षण तक, उपाध्यक्ष की गोण्डा में सक्रियता बनी चर्चा का विषय


गोण्डा, 11 जुलाई 2025।

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष एवं उप मंत्री स्तर प्राप्त वरिष्ठ भाजपा नेत्री श्रीमती अपर्णा यादव ने शुक्रवार को जनपद गोण्डा में जनसुनवाई से लेकर निरीक्षण और सामाजिक कार्यक्रमों तक पूरे दिन अपनी सक्रियता से महिला कल्याण और सशक्तिकरण को लेकर एक ठोस संदेश दिया। सर्किट हाउस में आयोजित जनसुनवाई से लेकर जिला महिला चिकित्सालय और कस्तूरबा गांधी विद्यालय तक उनकी उपस्थिति प्रशासनिक हलकों में भी चर्चा का विषय रही।

जनसुनवाई में तत्काल समाधान, पीड़िताओं को मिला न्याय

सर्किट हाउस में आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में जनपद के विभिन्न हिस्सों से आई 12 से अधिक महिलाओं ने घरेलू हिंसा, विद्युत विवाद, भूमि विवाद जैसे गंभीर मामलों को उपाध्यक्ष के समक्ष रखा। अपर्णा यादव ने एक-एक महिला की शिकायत को गंभीरता से सुना और मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी महिला की समस्या लंबित न रहे और तुरंत निस्तारण हो। शिकायतों में आए मुद्दों पर उन्होंने मौके पर कार्रवाई कराते हुए पीड़ित महिलाओं को राहत दी। उन्होंने कहा कि महिला आयोग प्रदेश की सभी महिलाओं की सुरक्षा, न्याय और सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्प है और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक, योजनाओं के धरातलीकरण पर दिया ज़ोर।

जनसुनवाई के पश्चात श्रीमती यादव ने जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रश्मि वर्मा, मुख्य राजस्व अधिकारी महेश प्रकाश, एसडीएम अशोक गुप्ता, क्षेत्राधिकारी शिल्पा वर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी, समाज कल्याण अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह, बीएसए अतुल तिवारी, डीएफओ कुँवर दिनेश प्रताप सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

श्रीमती यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला कल्याण योजनाओं को पूर्ण पारदर्शिता के साथ धरातल पर उतारा जाए। साथ ही कहा कि जो शिकायतें योजनाओं के लाभ से जुड़ी हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाए ताकि महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस परिणाम दिखें।

कन्या जन्मोत्सव में दिखाई मातृत्व की संवेदना।

जनसुनवाई से पहले श्रीमती यादव ने जिला महिला चिकित्सालय में नवजात बालिकाओं के साथ “कन्या जन्मोत्सव” कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने केक कटवाकर कार्यक्रम की शुरुआत की और नवजात बालिकाओं को बेबी किट, तौलिया व अन्य उपहार वितरित किए। उन्होंने परिजनों से बातचीत करते हुए कहा कि बेटियों को बोझ नहीं, बल्कि भविष्य का आधार माना जाए। उन्होंने परिजनों से अपील की कि वे बालिकाओं को शिक्षित करें और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का हर अवसर दें।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला प्रोबेशन अधिकारी, डिस्ट्रिक्ट मिशन कोऑर्डिनेटर शिवेन्द्र श्रीवास्तव, चेतना सिंह व अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

सामुदायिक केंद्र, बालगृह व महिला बंदी गृह का निरीक्षण, दिए सख्त निर्देश।

उपाध्यक्ष ने करनैलगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का निरीक्षण करते हुए वहां की साफ-सफाई व्यवस्था पर असंतोष जताया और सुधार के निर्देश दिए। आयुष्मान कार्ड वितरण की प्रक्रिया को भी देखा और लाभार्थियों से संवाद किया।

इसके बाद उन्होंने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का निरीक्षण किया, जहां भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए उन्होंने तत्काल मरम्मत कराने के निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा का वातावरण सुरक्षित और सुविधाजनक होना चाहिए, तभी बालिकाएं आत्मविश्वास से आगे बढ़ पाएंगी।

बाद में उन्होंने मंडल कारागार के महिला बंदी गृह का दौरा कर महिला बंदियों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने जेल अधीक्षक को निर्देशित किया कि वहां रह रहे बच्चों के लिए खेलकूद की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और उन्हें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) का लाभ प्रदान किया जाए।

बालगृह (बालिका) के निरीक्षण के दौरान उन्होंने बालिकाओं से बातचीत की और अधीक्षिका को निर्देश दिया कि जो बालिकाएं घर नहीं जाना चाहती हैं, उनकी समुचित काउंसलिंग कर उन्हें घर लौटने के लिए प्रेरित किया जाए।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में संकल्पबद्ध प्रयासों का दिन

अपर्णा यादव का यह दौरा महिला सुरक्षा, अधिकारों की रक्षा और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। जनपद गोण्डा में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर उनकी संवेदनशीलता, तत्परता और नेतृत्व ने एक उम्मीद जगाई है कि शासन की योजनाएं अब कागजों से निकलकर ज़मीन पर दिखेंगी।

यह दौरा न केवल प्रशासन के लिए एक चेतावनी है, बल्कि महिलाओं के लिए यह एक आश्वासन भी है कि उनकी आवाज अब सुनी जा रही है और उन्हें न्याय मिलेगा।

 

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