

गोंडा। जिले में बाल श्रम का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें 12 वर्षीय मासूम मोहित को पहाड़ापुर बाजार स्थित वैष्णो स्वीट्स नामक मिष्ठान भंडार पर छापेमारी व गहन छानबीन के बाद बरामद किया गया। जिला प्रशासन और श्रम विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए बच्चे को मुक्त कराया और उसे चाइल्ड वेलफेयर सेंटर में संरक्षण के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस घटना ने न केवल प्रशासनिक महकमे और सामाजिक संगठनों में चिंता पैदा की, बल्कि समाज के सामने यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि आर्थिक मजबूरियाँ कब तक बच्चों का बचपन छीनती रहेंगी?
सोशल मीडिया और खबरों ने खोली पोल
बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो और समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर ने इस मामले को उजागर किया। खबरों में बताया गया कि वैष्णो स्वीट्स में एक नाबालिग बच्चा काम कर रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए गोंडा प्रशासन और पुलिस ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को जाँच और कार्रवाई का जिम्मा सौंपा। एएचटीयू और श्रम विभाग की संयुक्त टीम ने बुधवार और गुरुवार को लगातार दो दिनों तक छापेमारी की और 12 वर्षीय मोहित को सुरक्षित निकाला।
मोहित की दर्दनाक कहानी
मोहित ठकुरन पुरवा गौरिया गांव का निवासी है और प्राथमिक विद्यालय चौधरी पुरवा में कक्षा पांचवीं का छात्र है। उसके परिवार में पांच भाई-बहन हैं, और वह सबसे बड़ा है। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के कारण उसे कम उम्र में ही मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ा। जिस उम्र में उसके हाथों में किताबें होनी चाहिए थीं, वहाँ गरीबी ने उससे मेहनत-मजदूरी करवा दी।
प्रशासन की तत्परता
इस कार्रवाई में एएचटीयू प्रभारी लाल बिहारी, श्रम परिवर्तन प्रभारी सतेंद्र प्रताप सिंह, अपराजिता सामाजिक समिति की टीम और जिला समन्वयक अधिकारी आत्रेय त्रिपाठी सहित कई अधिकारी शामिल रहे। टीम ने न केवल बच्चे को मुक्त कराया,बल्कि दुकान संचालक से पूछताछ भी की। बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर सेंटर में दाखिल कर दिया गया, जहाँ उसे सरकारी संरक्षण और पुनर्वास की सुविधा मिलेगी।
संचालक पर कानूनी शिकंजा
श्रम विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि प्रतिष्ठान संचालक राकेश वैश्य के खिलाफ बाल श्रम निषेध एवं विनियमन अधिनियम, 1986 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने पर संचालक को ₹20,000 से ₹50,000 तक का जुर्माना और 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है। यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का श्रम करवाने को अपराध मानता है। समाज के लिए सबक यह घटना प्रशासन की त्वरित कार्रवाई का प्रमाण है, लेकिन यह समाज के लिए भी एक चेतावनी है। आर्थिक तंगी और कानून के प्रति लापरवाही बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल रही है। जिलाधिकारी ने लोगों से अपील की है कि बाल श्रम के किसी भी मामले की सूचना तुरंत प्रशासन को दें। इसके लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर संपर्क किया जा सकता है। गोंडा प्रशासन की यह कार्रवाई बाल श्रम के खिलाफ एक मजबूत कदम है, जो जागरूकता और कानून के प्रति सम्मान को बढ़ावा देगा। यह समाज से यह सवाल पूछता है कि मासूमों का बचपन बचाने की जिम्मेदारी आखिर कब तक नजरअंदाज की जाएगी?

Author: HIND LEKHNI NEWS
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