डीएम के आदेश को धत्ता बता रहे शिक्षा माफिया, गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में सत्र शुरू करने की तैयारी तेज — बच्चों का भविष्य अधर में

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प्रशासनिक उदासीनता के बीच शिक्षा माफिया बेखौफ, सरकारी स्कूलों में दाखिले घटने की आशंका, सवालों के घेरे में जिम्मेदार अधिकारी

 

गोंडा, 18 जून 2025 |

जनपद गोंडा में शिक्षा माफियाओं की दबंगई और जिला प्रशासन की निष्क्रियता ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा 26 अप्रैल 2025 को जारी किए गए सख्त आदेश के बावजूद गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। जबकि यह आदेश स्पष्ट रूप से कहता है कि बिना मान्यता संचालित हो रहे विद्यालयों को तत्काल सील कर उनके प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों पर प्राथमिकी दर्ज की जाए।

प्रशासनिक आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां।

डीएम के आदेशानुसार तहसीलदारों, थाना प्रभारियों और खंड शिक्षा अधिकारियों को संयुक्त रूप से कार्रवाई सुनिश्चित करनी थी और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके विपरीत है। सूत्रों की मानें तो अब तक न तो विद्यालयों को बंद किया गया और न ही जिम्मेदारों पर कोई कठोर कार्रवाई की गई।

शिक्षा माफिया की हिम्मत इतनी कि खुलकर कर रहे प्रचार-प्रसार

बेखौफ शिक्षा माफिया अब आगामी जुलाई सत्र के लिए ज़ोर-शोर से प्रचार-प्रसार कर रहा है। स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, विद्यालय संचालक अभिभावकों से संपर्क कर रहे हैं, उन्हें विद्यालय की उपलब्धियां गिनवा रहे हैं और बच्चों के नामांकन के लिए लुभावने प्रस्ताव दे रहे हैं।

बच्चों की सुरक्षा और भविष्य पर संकट।

गैर मान्यता प्राप्त इन विद्यालयों में न तो प्रशिक्षित शिक्षक हैं, न ही जरूरी सुरक्षा प्रबंध। पहले भी कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं जिनमें इन विद्यालयों में बच्चों के साथ लापरवाही और घटिया शिक्षा का आरोप लगाया गया था। इसके बावजूद प्रशासन की चुप्पी बेहद शर्मनाक है।

इन सवालों का जवाब कौन देगा?

1. डीएम के सख्त आदेश के बावजूद आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

2. क्या कुछ प्रभावशाली अधिकारी और राजनीतिक रसूख इन अवैध विद्यालयों को संरक्षण दे रहे हैं?

3. इन बच्चों का वैकल्पिक प्रवेश सरकारी विद्यालयों में अब तक क्यों नहीं कराया गया?

सरकारी स्कूलों में घटेगा नामांकन?

गंभीर चिंता का विषय यह भी है कि जब तक इन अवैध विद्यालयों को बंद कर बच्चों का प्रवेश सरकारी एवं मान्यता प्राप्त विद्यालयों में नहीं कराया जाएगा, तब तक सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। इससे न केवल सरकारी विद्यालयों की स्थिति प्रभावित होगी, बल्कि शिक्षा के सरकारी प्रयासों को भी गहरा आघात पहुंचेगा।

क्या प्रशासन दिखाएगा जवाबदेही?

अब यह देखना बेहद अहम होगा कि जिलाधिकारी नेहा शर्मा इस स्थिति पर क्या संज्ञान लेती हैं। क्या प्रशासन सिर्फ आदेश जारी कर अपनी ज़िम्मेदारी खत्म मान लेगा या ज़मीनी स्तर पर कार्रवाई होगी?

गोंडा में शिक्षा माफियाओं की बढ़ती ताकत और प्रशासनिक निष्क्रियता मिलकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में यह संकट और गहराएगा। सरकारी तंत्र को अब कड़ी कार्रवाई कर नजीर पेश करनी चाहिए, वरना यह आदेश भी कागजों की दुनिया में दफन होकर रह जाएगा।

 

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