अयोध्या, 13 अप्रैल 2025 — त्रेतायुगीन परंपराओं से जुड़ी चौरासी कोसी परिक्रमा का शुभारंभ बस्ती जनपद के पावन मखौड़ा धाम से हुआ। पहले दिन परिक्रमा रामरेखा स्थल पर रुकी, जहां श्रद्धालुओं ने विश्राम किया और भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। आज परिक्रमा का दूसरा दिन है, जिसमें रामरेखा से हनुमान भाग की ओर पदयात्रा हुई। स्वामी गया शरण जी के अनुसार, आज शाम को सभी श्रद्धालु हनुमान भाग में विश्राम करेंगे और कीर्तन-भजन के साथ रात्रि विश्राम किया जाएगा
यह वही स्थल है, जहां राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु मनोरमा नदी के तट पर महायज्ञ किया था। परिक्रमा आरंभ की जानकारी अयोध्या धाम के महंत स्वामी गया शरण जी ने दी।
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली यह आध्यात्मिक यात्रा 21 दिनों तक चलती है, जिसमें श्रद्धालु अयोध्या, बस्ती, बाराबंकी, अंबेडकर नगर और गोंडा जिलों की 275 किलोमीटर लंबी यात्रा पूरी करते हैं।
आध्यात्मिक महत्व
हिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि 84 कोसी परिक्रमा करने से जीवात्मा को 84 लाख योनियों से मुक्ति मिलती है और यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। यह यात्रा भक्ति, साधना और आत्मिक पवित्रता का प्रतीक है।
यात्रा मार्ग व धार्मिक पड़ाव
इस पवित्र यात्रा में रामरेखा, गोसाईगंज, रामपुर भगन गांव, देवसिया पारा, अमानीगंज, रूदौली और पटरंगा जैसे आध्यात्मिक स्थल प्रमुख पड़ाव के रूप में आते हैं, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और धार्मिक कथाओं में भाग लेते हैं।
प्रशासनिक तैयारियां
प्रदेश सरकार ने संपूर्ण परिक्रमा मार्ग को मद्य निषिद्ध घोषित किया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शासन द्वारा शुद्ध पेयजल, चिकित्सा सहायता, साफ-सफाई, विश्राम स्थल और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
परिक्रमा की सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका
यह यात्रा न केवल धार्मिक भावनाओं को बल देती है, बल्कि भारतीय संस्कृति और सामाजिक सौहार्द का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती है। श्रद्धालु इस यात्रा के माध्यम से सनातन संस्कृति को सहेजते हैं और आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाते हैं।
— हिन्द लेखनी न्यूज
