नई दिल्ली: दिल्ली में पानी की संकट को लेकर चारों ओर त्राहिमाम है. पानी के लिए सड़कों पर जनता लड़ रही है. पानी का टैंकर देखते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. वहीं, दिल्ली सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में जल सकंट पर हरियाणा और हिमाचल सरकार से लड़ रही है. एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली को हर दिन लगभग 33.5 करोड़ से 36.7 करोड़ लीटर पानी की जरूरत है. मगर दिल्ली की प्यास पूरी तरह से नहीं बुझ पा रही है. यही वजह है कि दिल्ली सरकार ने हिमाचल और हरियाणा से अतिरिक्त पानी की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. दिल्ली को गर्मी के मौसम में भी इतना पानी आसानी से मिल सकता है और वह भी सुप्रीम कोर्ट में बिना किसी लड़ाई-झगड़े के. मगर यह तब संभव होगा, जब दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटी नदी पर डैम बन जाए.
दिल्ली की प्यास बुझाे के लिए काफी यह डैम
जी हां, रेणुका डैम से दिल्ली की प्यास आसानी से बुझ सकती है. करीब 50 साल की कवायद के बाद रेणुका बांध अब हकीकत बनने के लिए तैयार है. उम्मीद की जा रही है कि इस बांध का निर्माण कार्य इस साल से शुरू हो सकता है. हालांकि, रेणुका डैम को कंप्लीट होने में अभी आठ साल और लग सकते हैं. रेणुका बांध से गर्मी के महीनों में दिल्ली को प्रति सेकंड 23,000 लीटर पानी मिल सकता है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक, शिमला जिले के सेब क्षेत्र में खरापाथर के झरनों से एक नदी निकलती है. नाम है गिरि. यह एक छोटी और बारहमासी नदी है. अपने 150 किलोमीटर की राह यह गिरि नदी अपना जल स्तर बढ़ाती जाती है. यह सिरमौर में प्रसिद्ध रेणुका झील के किनारे से बहती है और यमुना में मिल जाती है. गर्मियों या सर्दियों में इसे देखने से यह अंदाजा नहीं लगता कि यह नदी दिल्ली की प्यास बुझा सकती है. मगर मानसून में यह उफान पर आ जाती है.
कब शुरू हुई यह कवायद
पिछले साल की बाढ़ के दौरान यह गिरि नदी हर सेकंड 32 लाख लीटर पानी बहा रही थी. हालांकि, इसका रिकॉर्ड तो इससे भी अधिक है. यही नदी सितंबर 1978 में यह 85 लाख लीटर प्रति सेकंड की दर से बह रही थी. अब जरा सोचिए, अगर आपके पास मानसून में उस सारे पानी को संग्रहीत करने यानी इकट्ठा करने के लिए एक बांध होता और फिर दिल्ली की प्यास बुझाने के लिए उसे छोड़ दिया जाता तो आज दिल्ली में लोगों को पानी के लिए हाहाकार नहीं मचाना पड़ता. हालांकि, रेणुका बांध बनाने का विचार नया नहीं है. रेणुका डैम का विचार तो 70 के दशक से है. 1976 में हिमाचल प्रदेश के बिजली विभाग के इंजीनियर रेणुका झील के पास दादाहू (सिरमौर) में 140 मीटर लंबा बांध बनाने की संभावना पर काम कर रहे थे. इससे 40 मेगावाट बिजली पैदा होती और दिल्ली की पानी की आपूर्ति में मदद मिलती. इसके करीब दो दशक बाद साल 1993 में हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड ने प्रस्तावित ‘रेणुका बांध’ के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की.
कहां बनेगा यह डैम
इसके उद्देश्यों में दिल्ली की पानी की आपूर्ति भी शामिल थी. 2000 के दशक की शुरुआत में यह निष्कर्ष निकाला गया कि बांध दिल्ली को कम पानी वाले महीनों में प्रति सेकंड 23,000 लीटर पानी (23 क्यूमेक्स) की आपूर्ति करेगा. रिपोर्ट में दावा किया गया हैकि हालांकि, अब करीब 22-24 साल बाद भी दादाहू में कोई रेणुका बांध नहीं है. हकीकत तो यह है कि रेणुका बांध को लेकर रिपोर्टें बनाई गईं, अनुमान लगाए गए, मंजूरी दी गई और सब कुछ कई बार खत्म हो गया. साल 2001 में दिल्ली की आबादी 1.4 करोड़ थी. 2011 में दिल्ली की आबादी बढ़कर 1.7 करोड़ हो गई. और अब अनुमान है कि साल 2036 में दिल्ली की आबादी 2.7 करोड़ हो जाएगी.
कहां तक पहुंचा डैम का काम?
फिलहाल, दादाहू में रेणुका बांध परियोजना के महाप्रबंधक आरके चौधरी हैं. इनसे पहले 11 महाप्रबंधक हो चुके हैं. मगर जमीन पर अब तक कोई काम नहीं हुआ है. हालांकि, आरके चौधरी को यकीन है कि इस साल सितंबर में उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले रेणुका डैम प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा. उन्हें उम्मीद है कि रेणुका बांध को लेकर इस वीक दो बड़े डेवलपमेंट होंगे. एक तो बांध के निर्माण के लिए अंतिम वन मंजूरी मिलेगी और दूसरा केंद्रीय जल आयोग से इंजीनियरिंग ड्राइंग का पहला सेट. उनके मुताबिक दो बड़ी बाधाएं थीं, जिनकी वजह से बांध का निर्माण कई सालों तक अटका रहा. पहली बाधा यमुना के पानी पर अधिकार रखने वाले छह राज्यों (गिरि यमुना की एक सहायक नदी है) के बीच समझौते का अभाव था. जनवरी 2019 में इस समस्या का समाधान हुआ, जब दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, हिमाचल और उत्तराखंड ने रेणुका बांध के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. लगभग तीन साल बाद दिसंबर 2021 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने बांध के लिए केंद्रीय वित्त पोषण को मंजूरी दी, और पीएम मोदी ने बांध के लिए केंद्रीय निधि की घोषणा की.
2030 तक करना होगा दिल्ली को इंतजार
हालांकि, हकीकत यह भी है कि वन विभाग से मंजूरी मिलने के बाद भी इस साल अक्टूबर तक काम शुरू नहीं होगा. इसकी वजह है मानसून. मानसून में गिरि नदी अपने पूरे उफान पर होगी. हालांकि, बाकी का काम मसलन टेंडरिंग का काम चलता रहेगा. मानसून के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू हो सकता है. अगर बांध का निर्माण इस साल शुरू होता है तो इसे कंप्लीट होने में जनवरी 2030 तक का समय लगेगा. आरके चौधरी ने बताया कि बांध तो केवल एक दीवार है. इसके पीछे 24 किलोमीटर लंबा जलाशय है जिसे भरना होगा. ऐसे में अगर 2032 तक रेनुका डैम बनकर तैयार हो जाती है तो दिल्ली की प्यास बुझ सकती है.
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FIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 09:55 IST