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भाई-बहन और मां… जब संसद में बैठेंगे सोनिया, राहुल और प्रियंका, रच जाएगा इतिहास, ऐसा तो नेहरू-इंदिरा भी नहीं कर सके

प्रियंका गांधी का फुलफ्लैश राजनीति में आने का अब विधिवत ऐलान हो गया है. प्रियंका अब राहुल गांधी के इस्तीफे से खाली होने जा रही केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस के इस फैसले से ना केवल प्रियंका गांधी बल्कि खुद गांधी परिवार एक इतिहास रचने जा रहा है. एक तो प्रियंका गांधी अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ने जा रही हैं, दूसरा अगर वे जीतती हैं, (जीत की पूरी संभावना है) तो ऐसा पहली बार होगा जब गांधी परिवार के तीन लोग एकसाथ सांसद होंगे. यानी संसद में गांधी परिवार के तीन लोग मौजूद रहेंगे.

निश्चित ही लोकसभा चुनाव 2024 मृतप्रायः हो चुकी कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी बनकर आया. चुनाव से पहले केवल केरल की वायनाड सीट ही कांग्रेस के लिए सुरक्षित लग रही थी. खुद कांग्रेसियों में चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं था. कांग्रेस के तमाम दिग्गज पार्टी छोड़कर सुरक्षित पनाहगाह की तलाश में कोई बीजेपी में चला गया तो कोई किसी और दल में. स्थिति यहां तक आ चुकी थी कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायबरेली और अमेठी सीट के लिए भी कांग्रेस को प्रत्याशी घोषित करने में बहुत समय लगा. लेकिन जैसे ही 4 जून को ईवीएम से वोटों की गिनती शुरू हुई. कांग्रेस में छाई निराशा एक नए उत्साह और जोश में बदलने लगी. कांग्रेस ने ना केवल 99 जीतों पर जीत हासिल की, बल्कि बीजेपी के कई दिग्गजों को धूल चटा दी. कांग्रेस ने अमेठी सीट बीजेपी से वापस छीन ली.

इस जीत के बाद से कांग्रेस आलाकमान को इस बात का भी पछतावा रहा कि पार्टी ने कुछ मामलों में बड़ी चूक कर दी. अगर चुनाव गंभीरता और पूरे जोश-खरोश से लड़ा जाता तो आज तस्वीर कुछ और ही होती. इस बात को खुद राहुल गांधी ने स्वीकार करते हुए रायबरेली में भरे मंच से कहा था कि अगर प्रियंका गांधी वाराणसी सीट से चुनाव लड़ती तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2-3 लाख वोट से चुनाव हार जाते. राहुल की इस बात में सभी राजनीतिक पंडितों को दम भी नजर आ रहा है.

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2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए एक बुरे सपने जैसा था. आलम ये था कि इन चुनावों में कांग्रेस के पास इतनी सीटें भी नहीं थीं कि उसे विपक्ष के नेता की कुर्सी मिल पाए. लेकिन इस बार कांग्रेस ने पिछली दो करारी हार को पीछे छोड़ते हुए 99 सीट जीतीं जिसने पार्टी की उम्मीदों की नई राह दिखाई है और अब कांग्रेस मजबूती के साथ बीजेपी को चुनौती देती दिखाई दे रही है.

प्रियंका के साथ गांधी परिवार रचेगा इतिहास
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रियंका गांधी लंबे समय से सक्रिय राजनीति में आना चाहती थीं. उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा कई बार जाहिर की, लेकिन सोनिया और राहुल गांधी ने प्रियंका को हमेशा सक्रिय राजनीति से दूर रखा. हालांकि, उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग स्थानों पर प्रभारी भी बनाया गया. लेकिन चुनाव लड़ने नहीं दिया.

इस लोकसभा चुनाव में भी प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ाने की मांग कई बार उठी, लेकिन सभी को नजरंदाज कर दिया गया.

खुद प्रियंका गांधी ने कई बार चुनाव लड़ने की इच्छा सार्वजनिक मंचों से प्रकट की. 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने नारा दिया था- ‘लड़की हूं…लड़ सकती हूं’. इसके मायने खुद उनके चुनाव लड़ने के थे. इसके अलावा उन्होंने कई बार अपने भाषणों में अपनी उम्र का भी उल्लेख किया था. वे यह कहकर कांग्रेस आलाकमान को यही जताना चाहती थीं कि वे कोई बच्ची नहीं हैं, वे चुनाव लड़ सकती हैं.

खैर ‘देर आयद दुरस्त आयद’ ही सही, कांग्रेस को आंख तो खुली. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. अब उन्होंने उनकी मेहनत का इनाम दिया जा रहा है.

पहली बार गांधी परिवार को 3 लोग संसद में
अगर प्रियंका गांधी वायनाड सीट से चुनाव जीतती हैं तो ऐसा पहली बार होगा जब गांधी परिवार (कांग्रेस पार्टी वाला गांधी परिवार) के तीन लोग एकसाथ संसद में होंगे. वर्तमान में सोनिया गांधी राज्यसभा सांसद हैं. राहुल गांधी रायबरेली से लोकसभा सांसद हैं. अब इस कड़ी में प्रियंका गांधी का नाम भी जुड़ जाएगा.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि गांधी परिवार का संसद में इतना प्रतिनिधित्व पहली बार होने जा रहा है. 2014 और 2019 की लोकसभा में गांधी परिवार के 4-4 सदस्य संसद में थे. 2019 में सोनिया गांधी रायबरेली सीट से, राहुल गांधी वायनाड सीट से, वरुण गांधी पीलीभीत सीट और सुल्तानपुर सीट से मेनका गांधी सांसद थीं. लेकिन मेनका और वरुण गांधी को गांधी परिवार का सदस्य नहीं माना जाता है. इसलिए अगर गांधी परिवार का जिक्र होता है तो सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी की ही तस्वीर सामने आती है.

गांधी परिवार के इतिहास पर नजर डालें तो देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू फूलपुर लोकसभा सीट से 1952 में सांसद चुने गए थे. फूलपुर से ही उन्होंने 1957 और 1962 का चुनाव जीता था. 27 मई, 1964 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित यहां से दो बार सांसद चुनी गईं. यानी नेहरू के कार्यकाल में वे इकलौते नेता थे जो संसद में नेहरू परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

नेहरू परिवार में गांधी की एंट्री
जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा का विवाह 1942 में फिरोज गांधी से हुआ था. आजादी के बाद 1952 में देश में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में फिरोज गांधी ने रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने 1957 का भी चुनाव जीता. 8 सितम्बर, 1960 को उनकी मृत्यु हो गई. 1967 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने रायबरेली से चुनाव जीता. इससे पहले पिता की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी 1964 में राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं और वे लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल में देश की सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं. उनके जीवन काल में भी इंदिरा गांधी के साथ केवल संजय गांधी ही 1980 में अमेठी सीट से सांसद रहे. संजय गांधी की मृत्यु के बाद 1981 में यहां से राजीव गांधी सांसद चुने गए.

राजीव और मेनका गांधी संसद में
1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद हुए देश में लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी ने अमेठी सीट का प्रतिनिधित्व किया. उस दौरान भी गांधी परिवार के वे इकलौते सांसद थे. संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी 1982 में राजनीति में आईं और पहला चुनाव अपने ज्येठ राजीव गांधी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप लड़ा और हार गईं. मेनका गांधी 1988 में जनता दल में शामिल हो गईं और उन्होंने दूसरा चुनाव 1989 में पीलीभीत संसदीय सीट से लड़कर जनता दल के प्रत्याशी के रूप जीत दर्ज की. इसलिए राजीव गांधी के कार्यकाल में उनके छोटे भाई की पत्नी भी सांसद रहीं, लेकिन उस समय वे गांधी परिवार से अगल हो चुकी थीं. 21 मई, 1991 में राजीव गांधी की एक हादसे में मृत्यु हो गई.

इस तरह गांधी परिवार के इतिहास पर नजर डालें तो इंदिरा और संजय गांधी के बाद सोनिया और राहुल गांधी ही एकसाथ संसद में रहे हैं. अब अगर प्रियंका गांधी वायनाड सीट से चुनाव जीत जाती हैं तो यह पहली बार होगा जब गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में होंगे.

Tags: Congress, Indira Gandhi, Priyanka gandhi, Rahul gandhi, Wayanad lok sabha election

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